
Parasnath Jinalaya
पार्श्वप्रभु के गुण अगम, महिमा अपरम्पार। नमन करो उनको सभी, पाओ सौख्य अपार।। श्री त्रिभुवन चूड़ामणि, चिन्तामणि, कलिकुण्ड पार्श्वनाथ जिनालय में मूल-नायक मूर्ति के रूप में श्री पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा विराजमान है। एक सौ आठ फणों वाले इस विशालकाय मूर्ति का निर्माण श्यामवर्णीय पाषाण से हुआ है। प्रत्येक फण में दो-दो रत्न भी जड़े हुये हैं। मूर्ति के नीचे कलिकुण्डयन्त्र बना हुआ है। यन्त्र पर नागासन है और उस पर जिनप्रतिमा है। यह प्रतिमा नौ फीट उन्नत है। संघ प्रतिदिन... Read More
Kunthugiri Parichay
कुन्थुगिरि तीर्थक्षेत्र – इतिहास और जानकारी “बहता पानी और रमता जोगी—यही जीवन की सच्ची नीति है।” सन् 1967 में परम पूज्य आचार्यश्री महावीरकीर्ति जी महाराज से मुनिदीक्षा प्राप्त करने के पश्चात् गणधराचार्य कुन्थुसागर जी महाराज ने सम्पूर्ण भारत में विहार किया। वर्षों की साधनायात्रा के अनुभव से यह अनुभूति हुई कि वयोवृद्ध साधुओं के लिए संयमपालन और साधना करना दिन-प्रतिदिन कठिन होता जा रहा है, विशेषतः बढ़ते शहरीकरण और ग्राम्य क्षेत्रों में श्रावकों की संख्या घटने के कारण। इसी भाव से पूज्य आचार्यश्री... Read More


Guru Parichay
उदयपुर जिले में बाठेड़ा नामक एक छोटा-सा गाँव है। इस गाँव में रेवाचन्द्र जी जैन रहा करते थे। वे पण्डितपद पर प्रतिष्ठित थे। उनकी धर्मपत्नी का नाम सोहनीदेवी था। इस सर्वगुणसम्पन्न दम्पति के दो पुत्र और तीन पुत्रियाँ थी। उनमें से एक पुत्र का नाम था-कन्हैयालाल। बालक कन्हैयालाल ने विक्रम संवत् २००३ में ज्येष्ठ शुक्ला त्रयोदशी के दिन जन्म लिया था। ईसवी सन् के अनुसार वह १-६-१९४७ का दिन था। कन्हैयालाल ने अपना सम्पूर्ण लौकिक शिक्षण अपने पिताश्री के समीप... Read More
Photo Gallery








